जबसे हम तबाह हो गए
तुम जहाँ-पनाह हो गए
हुस्न पर निखार आ गया
आईने सियाह हो गए
आँधियों की कुछ खता नहीं
हम ही दर्द-ऐ-राह हो गए
दुश्मनों को चिट्ठियां लिखो
दोस्त खैर-ख्वाह हो गए
तुम जहाँ-पनाह हो गए
हुस्न पर निखार आ गया
आईने सियाह हो गए
आँधियों की कुछ खता नहीं
हम ही दर्द-ऐ-राह हो गए
दुश्मनों को चिट्ठियां लिखो
दोस्त खैर-ख्वाह हो गए
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