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Wednesday, July 23, 2008

जबसे हम तबाह हो गए - jabse hum tabaah ho gaye

जबसे हम तबाह हो गए
तुम जहाँ-पनाह हो गए

हुस्न पर निखार आ गया
आईने सियाह हो गए

आँधियों की कुछ खता नहीं
हम ही दर्द-ऐ-राह हो गए

दुश्मनों को चिट्ठियां लिखो
दोस्त खैर-ख्वाह हो गए

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