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Wednesday, July 30, 2008

तेरी खुशबु में बसे ख़त...

जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाये रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाए रखा
तुने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
सालहा-साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात में उठकर लिखे
तेरी खुशबु में बसे ख़त मैं जलाता कैसे
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ

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