देर लगी आने में तुमको शुक्र है फ़िर भी आए
आस ने दिल का साथ न छोडा वैसे हम घबराए तो
शफ़क धनुक महताब घटाएं तारे नगमें बिजली फूल
उस दामन में क्या क्या कुछ है वो दामन हाथ में आए तो
झूठ है सब तारीख हमेशा अपने को दोहराती है
अच्छा मेरा ख्वाब-ऐ-जवानी थोड़ा सा दोहराए तो
सुनी सुनाई बात नहीं है अपने ऊपर बीती है
फूल निकलते हैं शोलों से चाहत आग लगाए तो
0 comments:
Post a Comment