तुमने दिल की बात कह दी, आज ये अच्छा हुआ,
हम तुम्हें अपना समझते थे, बड़ा धोखा हुआ,
जब भी हमने कुछ कहा, उसका असर उल्टा हुआ,
आप शायद भूलते हैं, बारहा ऐसा हुआ,
आपकी आंखों में ये आंसू कहाँ से आ गये,
हम तो दीवाने हैं लेकिन आपको ये क्या हुआ,
अब किसी से क्या कहें इकबाल अपनी दास्तां,
बस खुदा का शुक्र है जो भी हुआ अच्छा हुआ,
3 comments:
बहुत ही दिलकश गज़ल है जगजीत जी की!
दिल के अंदर के दर्द को शब्दों मे पिरोना केवल और केवल जगजीत सिंह जी को आता था!
बहुत ही दिलकश गज़ल है जगजीत सिंह जी की !
i love this ghazal
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