तेरे बारे में जब सोचा नहीं था,
मनाने रुठने के खेल में,
बिछड़ जाएंगे हम ये सोचा नहीं था,
सुना है बन्द कर ली उसने आँखे,
कई रातों से वो सोया नहीं था
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,
तेरी तस्वीर से करता था बातें,
मेरे कमरे में आईना नहीं था,
मेरे कमरे में आईना नहीं था,
समन्दर ने मुझे प्यासा ही रखा,
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था,
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था,
मनाने रुठने के खेल में,
बिछड़ जाएंगे हम ये सोचा नहीं था,
सुना है बन्द कर ली उसने आँखे,
कई रातों से वो सोया नहीं था
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