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Thursday, August 20, 2009

तन्हा-तन्हा हम रो लेंगे - tanha-tanha hum ro lenge...

एल्बम HOPE जगजीत जी और चित्रा जी के जीवन की सबसे बड़ी होप, उनके पुत्र विवेक के देहांत के बाद उनके जन्मदिन के मौके पर ग़ज़ल पसंदों को समर्पित किया गया था. आज 20 अगस्त, विवेक के जन्मदिन के मौके पर मैं आपके साथ उसी HOPE एल्बम से एक ख़ास ग़ज़ल शेयर कर रहा हूँ.

तन्हा-तन्हा हम रो लेंगे, महफ़िल-महफ़िल गायेंगे,
जब तक आंसू साथ रहेंगे, तब तक गीत सुनायेंगे,

तुम जो सोचो वो तुम जानो, हम तो अपनी कहते हैं,
देर ना करना घर जाने में, वरना घर खो जायेंगे,

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद-सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे,

किन राहों से दूर है मंजिल, कौन-सा रास्ता आसां है,
हम जब थक कर रुक जायेंगे, औरों को समझायेंगे,

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों, मुमकिन है,
हम तो उस दिन रायें देंगे जिस दिन धोखा खाएँगे.

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