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Saturday, April 26, 2014

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें... - agar hum kahen aur wo muskura den...

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें,
हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें,

हर इक मोड़ पर हम ग़मों को सज़ा दें,
चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें,

अगर ख़ुद को भूले तो कुछ भी न भूले,
के चाहत में उनकी, ख़ुदा को भुला दें,

कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू न पाए,
वफ़ाओं के हम, वो नशेमन बना दें,

क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे,
चलो उनके चेहरे से पर्दा हटा दें,

सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें,
मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें.

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