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Tuesday, March 25, 2014

दिल में अब दर्द-ए-मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं... / dil me ab dard-e-muhabbat ke siva kuchh bhi nahin...

दिल में अब दर्द-ए-मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं
ज़िन्दगी मेरी इबादत के सिवा कुछ भी नहीं

मैं तेरी बारगाह-ए-नाज़ में क्या पेश करूँ
मेरी झोली में मुहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं

ऐ ख़ुदा मुझसे ना ले मेरे गुनाहों का हिसाब
मेरे पास अश्क-ए-नदामत के सिवा कुछ भी नहीं

वो तो मिटकर मुझ को मिल ही गयी राहत वरना
ज़िन्दगी रंज-ओ-मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं

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