ग़म का खजाना तेरा भी है मेरा भी
ये नजराना तेरा भी है मेरा भी
अपने गम को गीत बना कर गा ले आ
राग पुराना तेरा भी है मेरा भी
तू मुझको और मैं तुझको समझाऊँ क्या
दिल दीवाना तेरा भी है मेरा भी
शहर में गलियों गलियों जिसका चर्चा है
वो अफसाना तेरा भी है मेरा भी
मैखाने की बात न कर वाइज़ मुझसे
आना-जाना तेरा भी है मेरा भी
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Monday, August 4, 2008
जब किसी से कोई गिला रखना
जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आइना रखना
यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की जगह रखना
मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए
अपने घर में कहीं खुदा रखना
मिलना-जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना
सामने अपने आइना रखना
यूँ उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की जगह रखना
मस्जिदें हैं नमाजियों के लिए
अपने घर में कहीं खुदा रखना
मिलना-जुलना जहाँ ज़रूरी हो
मिलने-जुलने का हौसला रखना
Sunday, August 3, 2008
गरज बरस प्यासी धरती पर ...
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
चिडियों को दाने, बच्चों को गुड़-धानी दे मौला
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच समझ वालों को थोडी नादानी दे मौला
फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलीबें
झूटों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला
फिर मूरत से बहार आकर चारों और बिखर जा
फिर मन्दिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यूं हो
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला
चिडियों को दाने, बच्चों को गुड़-धानी दे मौला
दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है
सोच समझ वालों को थोडी नादानी दे मौला
फिर रोशन कर ज़हर का प्याला चमका नयी सलीबें
झूटों की दुनिया में सच को ताबानी दे मौला
फिर मूरत से बहार आकर चारों और बिखर जा
फिर मन्दिर को कोई मीरा दीवानी दे मौला
तेरे होते कोई किसी की जान का दुश्मन क्यूं हो
जीने वालों को मरने की आसानी दे मौला
Saturday, August 2, 2008
कहीं ऐसा ना हो दामन जला लो...
कहीं ऐसा ना हो दामन जला लो
हमारे आंसुओं पर ख़ाक डालो
मनाना ही ज़रूरी है तो फ़िर तुम
हमे सबसे खफा होकर मना लो
बहुत रोई हुयी लगती हैं आँखें
मेरी खातिर ज़रा काजल लगा लो
अकेलेपन से खौफ आता है मुझको
कहाँ जो ऐ मेरे ख्वाब-ओ-ख्यालों
बहुत मायूस बैठा हूँ मैं तुमसे
कभी आकर मुझे हैरत में डालो
हमारे आंसुओं पर ख़ाक डालो
मनाना ही ज़रूरी है तो फ़िर तुम
हमे सबसे खफा होकर मना लो
बहुत रोई हुयी लगती हैं आँखें
मेरी खातिर ज़रा काजल लगा लो
अकेलेपन से खौफ आता है मुझको
कहाँ जो ऐ मेरे ख्वाब-ओ-ख्यालों
बहुत मायूस बैठा हूँ मैं तुमसे
कभी आकर मुझे हैरत में डालो
Friday, August 1, 2008
खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे...
खुदा हमको ऐसी खुदाई ना दे
के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे
खतावार समझेगी दुनिया तुझे
के इतनी ज़ियादा सफाई ना दे
हंसो आज इतना के इस शोर में
सदा सिसकियों की सुनाई ना दे
अभी तो बदन में लहू है बहुत
कलम छीन ले रोशनाई ना दे
खुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखायी ना दे
के अपने सिवा कुछ दिखाई ना दे
खतावार समझेगी दुनिया तुझे
के इतनी ज़ियादा सफाई ना दे
हंसो आज इतना के इस शोर में
सदा सिसकियों की सुनाई ना दे
अभी तो बदन में लहू है बहुत
कलम छीन ले रोशनाई ना दे
खुदा ऐसे एहसास का नाम है
रहे सामने और दिखायी ना दे