न शिवाले न कलीसा न हरम झूठे हैं,
बस यही सच है के तुम झूठे हो हम झूठे हैं,
हमने देखा ही नहीं बोलते उनको अब तक,
कौन कहता है के पत्थर के सनम झूठे हैं,
उनसे मिलिए तो ख़ुशी होती है उनसे मिलकर,
शहर के दूसरे लोगों से जो कम झूठे हैं,
कुछ तो है बात जो तहरीरों में तासीर नहीं,
झूठे फ़नकार नहीं हैं तो क़लम झूठे हैं.
बस यही सच है के तुम झूठे हो हम झूठे हैं,
हमने देखा ही नहीं बोलते उनको अब तक,
कौन कहता है के पत्थर के सनम झूठे हैं,
उनसे मिलिए तो ख़ुशी होती है उनसे मिलकर,
शहर के दूसरे लोगों से जो कम झूठे हैं,
कुछ तो है बात जो तहरीरों में तासीर नहीं,
झूठे फ़नकार नहीं हैं तो क़लम झूठे हैं.
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