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Sunday, April 18, 2010

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला... - ab khushi hai na koi dard rulaane wala

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला,

उसको रुख़्सत तो किया था, मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया, घर छोड़ के जाने वाला,

इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है, सब की दुनिया,
कोई जल्दी में, कोई देर से जाने वाला,

एक बे-चेहरा सी उम्मीद है, चेहरा-चेहरा,
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला,

दूर के चाँद को ढूँढो न किसी आँचल में,
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला.

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