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Wednesday, June 18, 2014

बस इक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है... - bas ek waqt ka khanjar meri talash me hai

बस इक वक़्त का ख़ंजर मेरी तलाश में है,
जो रोज़ भेस बदल कर मेरी तलाश में है,

मैं एक क़तरा हूँ मेरा अलग वजूद तो है,
हुआ करे जो समंदर मेरी तलाश में है,

मैं देवता की तरह क़ैद अपने मंदिर में,
वो मेरे जिस्म के बाहर मेरी तलाश में है,

मैं जिसके हाथ में इक फूल देके आया था,
उसी के हाथ का पत्थर मेरी तलाश में है.

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