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Sunday, May 11, 2014

तुम्हारी अंजुमन से उठके दीवाने कहाँ जाते... - tumhari anjuman se uthke deewane kahan jaate

तुम्हारी अंजुमन से उठके दीवाने कहाँ जाते,
जो वाबस्ता हुए तुमसे वो अफ़साने कहाँ जाते,

तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की,
तुम आँखों से पिला देते तो पैमानें कहाँ जाते,

चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी,
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते,

निकल कर दैरो काबा से अगर मिलता ना मैख़ाना,
तो ठुकराये हुये इन्सान ख़ुदा जाने कहाँ जाते.

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