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Saturday, April 11, 2009

ना जाना आज तक क्या शय खुशी है
हमारी ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी है

तेरे गम से शिकायत-सी रही है
मुझे सचमुच बड़ी शर्मिन्दगी है

मुहब्बत में कभी सोचा है यूं भी
कि तुझसे दोस्ती या दुश्मनी है

कोई दम का हूँ मेहमां, मुंह ना फ़ेरो
अभी आंखों में कुछ-कुछ रोशनी है

ज़माना ज़ुल्म मुझ पर कर रहा है
तुम ऐसा कर सको तो बात भी है

झलक मासूमियों में शोखियों की
बहुत रंगीन तेरी सादगी है

इसे सुन लो, सबब इसका ना पूछो
मुझे तुम से मोहब्बत हो गई है

सुना है इक नगर है आंसूओं का
उसी का दूसरा नाम आंख भी है

वही तेरी मोहब्बत की कहानी
जो कुछ भूली हुई, कुछ याद भी है

तुम्हारा ज़िक्र आया इत्तिफ़ाकन
ना बिगड़ो बात पर, बात आ गई.

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