प्यास की कैसे लाए ताब कोई,
नहीं दरिया तो हो सराब कोई,
रात बजती थी दूर शहनाई,
रोया पीकर बहुत शराब कोई,
कौन-सा ज़ख़्म किसने बख़्शा है,
इसका रक्खे कहाँ हिसाब कोई,
फ़िर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की,
आने वाला है फिर अज़ाब कोई.
नहीं दरिया तो हो सराब कोई,
रात बजती थी दूर शहनाई,
रोया पीकर बहुत शराब कोई,
कौन-सा ज़ख़्म किसने बख़्शा है,
इसका रक्खे कहाँ हिसाब कोई,
फ़िर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की,
आने वाला है फिर अज़ाब कोई.
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