नवीनतम पोस्ट

Friday, March 2, 2012

प्यास की कैसे लाए ताब कोई... - pyaas ki kaise laaye taab koi

प्यास की कैसे लाए ताब कोई,
नहीं दरिया तो हो सराब कोई,

रात बजती थी दूर शहनाई,
रोया पीकर बहुत शराब कोई,

कौन-सा ज़ख़्म किसने बख़्शा है,
इसका रक्खे कहाँ हिसाब कोई,

फ़िर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की,
आने वाला है फिर अज़ाब कोई.

0 comments: