दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है,
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है,
अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम,
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है,
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है,
ग़म हो के ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं,
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है.
मिल जाये तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है,
अच्छा-सा कोई मौसम तन्हा-सा कोई आलम,
हर वक़्त का रोना तो बेकार का रोना है,
बरसात का बादल तो दीवाना है क्या जाने,
किस राह से बचना है किस छत को भिगोना है,
ग़म हो के ख़ुशी दोनों कुछ देर के साथी हैं,
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है.
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