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Sunday, August 5, 2012

वो नहीं मिलता मुझे इसका गिला... - wo nahin milta mujhe iska gila

वो नहीं मिलता मुझे इसका गिला अपनी जगह,
उसके मेरे दरमियाँ का फ़ासिला अपनी जगह,

ज़िन्दगी के इस सफ़र में सैकड़ों चेहरे मिले,
दिलकशी उनकी अलग, पैकर तेरा अपनी जगह,

तुझसे मिल कर आने वाले कल से नफ़रत मोल ली,
अब कभी तुझसे ना बिछड़ूँ  ये दुआ अपनी जगह,

इक मुसलसल दौड़ में हैं मन्ज़िलें और फ़ासिले,
पाँव तो अपनी जगह हैं रास्ता अपनी जगह.

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