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Wednesday, March 16, 2011

ये क्या जाने में जाना है... - ye kya jaane me jaana hai

ये क्या जाने में जाना है, जाते हो ख़फ़ा हो कर
मैं जब जानूं मेरे दिल से चले जाओ जुदा हो कर

क़यामत तक उड़ेगी दिल से उठकर ख़ाक आँखों तक
इसी रस्ते गया है हसरतों का क़ाफ़िला हो कर

तुम्ही अब दर्द-ऐ-दिल के नाम से घबराए जाते हो
तुम्ही तो दिल में शायद आए थे दर्द-ऐ-आशियाँ हो कर

यूँ ही हम तुम घड़ी भर को मिला करते थे बेहतर था
ये दोनों वक़्त जैसे रोज़ मिलते हैं जुदा हो कर

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