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Saturday, April 26, 2014

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें... - agar hum kahen aur wo muskura den...

अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दें,
हम उनके लिए ज़िंदगानी लुटा दें,

हर इक मोड़ पर हम ग़मों को सज़ा दें,
चलो ज़िन्दगी को मोहब्बत बना दें,

अगर ख़ुद को भूले तो कुछ भी न भूले,
के चाहत में उनकी, ख़ुदा को भुला दें,

कभी ग़म की आँधी, जिन्हें छू न पाए,
वफ़ाओं के हम, वो नशेमन बना दें,

क़यामत के दीवाने कहते हैं हमसे,
चलो उनके चेहरे से पर्दा हटा दें,

सज़ा दें, सिला दें, बना दें, मिटा दें,
मगर वो कोई फ़ैसला तो सुना दें.

Friday, April 18, 2014

और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का... - aur to koi bas na chalega hijr ke dard ke maron ka

और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का,
सुबह का होना दूभर कर दें रस्ता रोक सितारों का,

झूठे सिक्कों में भी उठा देते हैं अक्सर सच्चा माल,
शक्लें देख के सौदा करना काम है इन बंजारों का,

अपनी ज़ुबां से कुछ न कहेंगे चुप ही रहेंगे आशिक़ लोग,
तुम से तो इतना हो सकता है पूछो हाल बेचारों का,

एक ज़रा-सी बात थी जिस का चर्चा पहुंचा गली-गली,
हम गुमनामों ने फिर भी एहसान न माना यारों का,

दर्द का कहना चीख उठो दिल का तक़ाज़ा वज़'अ निभाओ,
सब कुछ सहना चुप-चुप रहना काम है इज़्ज़तदारों का,

जिस जिप्सी का ज़िक्र है तुमसे दिल को उसी की खोज रही,
यूँ तो हमारे शहर में अक्सर मेला लगा निगारों का,

'इंशा' जी अब अजनबियों में चैन से बाक़ी उम्र कटे,
जिनकी ख़ातिर बस्ती छोड़ी नाम न लो उन प्यारों का.

Sunday, April 13, 2014

जब भी तन्हाई से घबरा के... - jab bhi tanhai se ghabra ke

जब भी तन्हाई से घबरा के सिमट जाते हैं,
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं

उन पे तूफ़ाँ को भी अफ़सोस हुआ करता है,
वो सफ़ीने जो किनारों पे उलट जाते हैं,

हम तो आए थे रहें शाख़ में फूलों की तरह,
तुम अगर ख़ार समझते हो तो हट जाते हैं.

Friday, April 11, 2014

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइए... - pahle to apne dil ki raza jaan jaaiye

पहले तो अपने दिल की रज़ा जान जाइए
फिर जो निगाह-ए-यार कहे मान जाइए

पहले मिजाज़-ए-राहगुजर जान जाइए
फिर गर्द-ए-राह जो भी कहे मान जाइए

कुछ कह रहीं हैं आपके सीने की धड़कनें
मेरी सुनें तो दिल का कहा मान जाइए

इक धूप सी जमी है निगाहों के आसपास
ये आप हैं तो आप पे कुर्बान जाइए

शायद हुज़ूर से कोई निस्बत हमें भी हो
आँखों में झांककर हमें पहचान जाइए

दोस्ती जब किसी से की जाए... - dosti jab kisi se ki jaaye

दोस्ती जब किसी से की जाए,
दुश्मनों की भी राय ली जाए,

मौत का ज़हर है फ़िज़ाओं में,
अब कहाँ जा के साँस ली जाए,

बस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ,
ये नदी कैसे पार की जाए,

मेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे,
आज फिर कोई भूल की जाए,

बोतलें खोल के तो पी बरसों,
आज दिल खोल कर भी पी जाए.