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Thursday, December 5, 2013

हरसू दिखाई देते हैं वो जलवागर मुझे... - harsu dikhai dete hain wo jalwagar mujhe

हरसू दिखाई देते हैं वो जलवागर मुझे,
क्या क्या फ़रेब देती है मेरी नज़र मुझे,

डाला है बेख़ुदी ने अजब राह पर मुझे,
आँखें हैं और कुछ नहीं आता नज़र मुझे,

दिल लेके मुझसे देते हो दाग़-ए-जिगर मुझे,
ये बात भूलने की नहीं उम्र भर मुझे,

आया ना रास नाला-ए-दिल का असर मुझे,
अब तुम मिले तो कुछ नहीं अपनी ख़बर मुझे.

Wednesday, November 20, 2013

मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार - main roya pardes me bheega maa ka pyaar

मैं रोया परदेस में, भीगा माँ का प्यार,
दुख ने दुख से बात की बिन चिठ्ठी बिन तार,

छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है, बाहों भर संसार,

लेके तन के नाप को, घूमे बस्ती गाँव,
हर चादर के घेर से बाहर निकले पाँव,

सबकी पूजा एक सी, अलग-अलग हर रीत,
मस्जिद जाए मौलवी, कोयल गाए गीत,

पूजा घर में मूर्ति, मीरा के संग श्याम,
जिसकी जितनी चाकरी, उतने उसके दाम,

सातों दिन भगवान के, क्या मंगल क्या पीर,
जिस दिन सोए देर तक, भूखा रहे फ़कीर,

अच्छी संगत बैठकर संगी बदले रूप,
जैसे मिलकर आम से मीठी हो गई धूप,

सपना झरना नींद का, जागी आँखें प्यास,
पाना खोना खोजना साँसों का इतिहास,

चाहे गीता बांचिये या पढ़िए क़ुरान,
मेरा तेरा प्यार ही, हर पुस्तक का ज्ञान

Friday, June 14, 2013

दर्द बढ़ कर फुगाँ ना हो जाये - dard badhkar fugaan naa ho jaaye

दर्द बढ़ कर फुगाँ ना हो जाये
ये ज़मीं आसमाँ ना हो जाये

दिल में डूबा हुआ जो नश्तर है
मेरे दिल की ज़ुबाँ ना हो जाये

दिल को ले लीजिए जो लेना हो
फिर ये सौदा ग़राँ ना हो जाये

आह कीजिए मगर लतीफ़-तरीन
लब तक आकर धुआँ ना हो जाये

Thursday, May 23, 2013

सोचा नहीं अच्छा बुरा - socha nahin achchha bura

सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं
मांगा ख़ुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं

सोचा तुझे, देखा तुझे, चाहा तुझे पूजा तुझे
मेरी वफ़ा मेरी ख़ता, तेरी ख़ता कुछ भी नहीं

जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाये रात भर
भेजा वही काग़ज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं

इक शाम की दहलीज़ पर बैठे रहे वो देर तक
आँखों से की बातें बहुत, मुँह से कहा कुछ भी नहीं

दो चार दिन की बात है दिल ख़ाक में सो जायेगा
जब आग पर काग़ज़ रखा, बाकी बचा कुछ भी नहीं

अहसास की ख़ुशबू कहाँ, आवाज़ के जुगनू कहाँ
ख़ामोश यादों के सिवा घर में रहा कुछ भी नहीं

Sunday, April 7, 2013

हुस्न पर जब कभी शबाब आया - husn par jab kabhi shabab aaya

हुस्न पर जब कभी शबाब आया
सारी दुनिया में इंक़लाब आया

मेरा ख़त ही जो तूने लौटाया
लोग समझे तेरा जवाब आया

उम्र तिफली में जब ये आलम है
मार डालोगे जब शबाब आया

तेरी महफ़िल में सुकून मिलता है 
इसलिए मैं भी बार बार आया 

तू गुज़ारेगी ज़िंदगी कैसे 
सोच कर फिर से मैं चला आया 

ग़म की निस्बत पूछिए हमसे
अपने हिस्से में बेहिसाब आया

Friday, April 5, 2013

मेरी तन्हाइयों तुम ही लगा लो - meri tanhaiyon tum hi laga lo

मेरी तन्हाइयों तुम ही लगा लो मुझको सीने से,
के मैं घबरा गया हूँ इस तरह रो रो के जीने से

ये आधी रात को फिर चूड़ियाँ सी क्या खनकती हैं
कोई आता है या मेरी ही ज़ंजीरें खनकती हैं
ये बातें किस तरह पूछूँ मैं सावन के महीने से

पीने दो मुझे अपने ही लहू का जाम पीने दो
ना सीने दो किसी को भी मेरा दामन ना सीने दो
मेरी वहशत ना बढ जाये कहीं दामन के सीने से

Wednesday, March 27, 2013

तुम बैठे हो लेकिन जाते देख रहा हूँ... - tum baithe ho lekin jaate dekh raha hun

तुम बैठे हो लेकिन जाते देख रहा हूँ,
मैं तन्हाई के दिन आते देख रहा हूँ,

आने वाले लम्हे से दिल सहमा है,
तुमको भी डरते घबराते देख रहा हूँ,

कब यादों का ज़ख्म भरे कब दाग मिटे,
कितने दिन लगते हैं भुलाते देख रहा हूँ,

उसकी आँखों में भी काजल फैला है,
मैं भी मुड़ के जाते-जाते देख रहा हूँ.