दिन गुज़र गया ऐतबार में,
रात कट गई इंतज़ार में,
वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में,
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में,
उनकी इक नज़र काम कर गई,
होश अब कहाँ होशियार में,
मेरे कब्ज़े में कायनात है,
मैं हूँ आपके इख्तेयार में,
आँख तो उठी फूल की तरफ,
दिल उलझ गया हुस्न-ए-ख़ार में,
तुमसे क्या कहें, कितने ग़म सहे,
हमने बेवफ़ा तेरे प्यार में,
फ़िक्र-ए-आशियां हर खिज़ां में की,
आशियां जला हर बहार में,
किस तरह ये ग़म भूल जाएं हम,
वो जुदा हुआ इस बहार में.
रात कट गई इंतज़ार में,
वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में,
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में,
उनकी इक नज़र काम कर गई,
होश अब कहाँ होशियार में,
मेरे कब्ज़े में कायनात है,
मैं हूँ आपके इख्तेयार में,
आँख तो उठी फूल की तरफ,
दिल उलझ गया हुस्न-ए-ख़ार में,
तुमसे क्या कहें, कितने ग़म सहे,
हमने बेवफ़ा तेरे प्यार में,
फ़िक्र-ए-आशियां हर खिज़ां में की,
आशियां जला हर बहार में,
किस तरह ये ग़म भूल जाएं हम,
वो जुदा हुआ इस बहार में.
1 comments:
I think the correct line is "फिकरे आशियाँ हर खिज़ा में की"
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