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Thursday, March 29, 2012

दिन गुज़र गया ऐतबार में - din guzar gaya aitbaar me

दिन गुज़र गया ऐतबार में,
रात कट गई इंतज़ार में,

वो मज़ा कहाँ वस्ल-ए-यार में,
लुत्फ़ जो मिला इंतज़ार में,

उनकी इक नज़र काम कर गई,
होश अब कहाँ होशियार में,

मेरे कब्ज़े में कायनात है,
मैं हूँ आपके इख्तेयार में,

आँख तो उठी फूल की तरफ,
दिल उलझ गया हुस्न-ए-ख़ार में,

तुमसे क्या कहें, कितने ग़म सहे,
हमने बेवफ़ा तेरे प्यार में,

फ़िक्र-ए-आशियां हर खिज़ां में की,
आशियां जला हर बहार में,

किस तरह ये ग़म भूल जाएं हम,
वो जुदा हुआ इस बहार में.

Tuesday, March 20, 2012

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना... - ab agar aao to aane ke mat aana

अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ अहसान जताने के लिए मत आना

मैंने पलकों पे तमन्‍नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्‍मीद की सौ शम्में जला रखी हैं
ये हसीं शम्में बुझाने के लिए मत आना

प्‍यार की आग में ज़ंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना

अब तुम आना जो तुम्‍हें मुझसे मुहब्‍बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्‍म निभाने के लिए मत आना

Friday, March 2, 2012

प्यास की कैसे लाए ताब कोई... - pyaas ki kaise laaye taab koi

प्यास की कैसे लाए ताब कोई,
नहीं दरिया तो हो सराब कोई,

रात बजती थी दूर शहनाई,
रोया पीकर बहुत शराब कोई,

कौन-सा ज़ख़्म किसने बख़्शा है,
इसका रक्खे कहाँ हिसाब कोई,

फ़िर मैं सुनने लगा हूँ इस दिल की,
आने वाला है फिर अज़ाब कोई.