नवीनतम पोस्ट

Saturday, October 29, 2011

आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है - aankh se aankh mila baat banata kyun hai

आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है
तू अगर मुझसे ख़फ़ा है तो छुपाता क्यूँ है

ग़ैर लगता है न अपनों की तरह मिलता है
तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यूँ है

वक़्त के साथ हालात बदल जाते हैं
ये हक़ीक़त है मगर मुझको सुनाता क्यूँ है

एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं
ऐसी राहों पे चराग़ों को जलाता क्यूँ है

0 comments: