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Saturday, July 30, 2011

सच्ची बात कही थी मैंने - sachchi baat kahi thi maine

सच्ची बात कही थी मैंने,

लोगों ने सूली पे चढाया,
मुझ को ज़हर का जाम पिलाया,
फिर भी उनको चैन न आया,
सच्ची बात कही थी मैंने,

ले के जहाँ भी वक्त गया है,
ज़ुल्म मिला है, ज़ुल्म सहा है,
सच का ये इनाम मिला है,
सच्ची बात कही थी मैंने,

सब से बेहतर कभी न बनना,
जग के रहबर कभी न बनना,
पीर पयम्बर कभी न बनना,

चुप रह कर ही वक्त गुजारो,
सच कहने पे जान मत वारो,
कुछ तो सीखो मुझ से यारों,

सच्ची बात कही थी मैंने