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Monday, June 6, 2011

तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा - tumne sooli pe latakte jise dekha hoga

तुमने सूली पे लटकते जिसे देखा होगा,
वक़्त आएगा वही शख्स मसीहा होगा,

ख्वाब देखा था कि सेहरा में बसेरा होगा,
क्या ख़बर थी कि यही ख्वाब तो सच्चा होगा,

मैं फ़िज़ाओं में बिखर जाऊंगा खुशबू बनकर,
रंग होगा न बदन होगा न चेहरा होगा

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