नवीनतम पोस्ट

Monday, April 18, 2011

देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा... - dekha jo aaina to mujhe sochna pada

देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा,
ख़ुद से न मिल सका तो मुझे सोचना पड़ा,

उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा,
अपना-सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा,

मुझको था ये गुमाँ के मुझ ही में है इक अना,
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा,

दुनिया समझ रही थी के नाराज़ मुझसे है,
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा,

सर को छुपाऊँ अपने के पैरों को ढाँप लूँ,
छोटी सी थी रिदा तो मुझे सोचना पड़ा,

इक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फ़राग़'
जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा.