नवीनतम पोस्ट

Thursday, August 26, 2010

मेरा दिल भी शौक से तोड़ो - mera dil bhi shauq se todo...

मेरा दिल भी शौक से तोड़ो, एक तजुर्बा और सही,
लाख खिलौने तोड़ चुके हो, एक खिलौना और सही.

रात है ग़म की आज बुझा दो जलता हर एक चराग,
दिल में अंधेरा हो ही चुका है, घर में अंधेरा और सही.

दम है निकलता एक आशिक़ का, भीड़ है आ कर देख तो लो,
लाख तमाशे देखे होंगे, एक नज़ारा और सही.

खंजर लेकर सोचते क्या हो क़त्ल "मुराद" भी कर डालो,
दाग हैं सौ दामन पे तुम्हारे एक इजाफा और सही.

0 comments: