है इख्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे,
वो शख्स मेरा नहीं है, उसे मेरा कर दे.
ये रेखज़ार कहीं ख़त्म ही नहीं होता,
ज़रा-सी दूर तो रास्ता हरा-भरा कर दे.
मैं उसके ज़ोर को देखूं, वो मेरा सब्र-ओ-सुकूं,
मुझे चराग बना दे, उसे हवा कर दे.
अकेली शाम बहुत ही उदास करती है,
किसी को भेज, कोई मेरा हमनवा कर दे.
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2 comments:
आभार पढ़वाने का.
Beautiful :)
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