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Monday, July 26, 2010

अबके बरस भी वो... - abke baras bhi wo...

अबके बरस भी वो नहीं आये बहार में,
गुजरेगा और एक बरस इंतज़ार में.

ये आग इश्क़ की है बुझाने से क्या बुझे?
दिल तेरे बस में है ना मेरे इख्तियार में.

है टूटे दिल में तेरी मुहब्बत, तेरा ख़याल,
कुछ रंग है बहार के उजड़ी बहार में.

आंसू नहीं है आँख में लेकिन तेरे बगैर,
तूफ़ान छुपे हुए हैं दिल-ए-बेकरार में.

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