वो फ़िराक[1] और विसाल[2] कहाँ?
वो शब-ओ-रोज़-ओ-माह-ओ-साल कहाँ?
थी वो एक शख्स के तसव्वुर[3] से
अब वो रानाई[4]-ए-ख़याल कहाँ?
ऐसा आसां नहीं लहू रोना
दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ?
फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ?
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2 comments:
बढ़िया ...कॉपी नहीं हो रहा टेक्स्ट
आभार इसे यहाँ पढ़वाने का.
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