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Monday, April 26, 2010

आज मैंने अपना फिर सौदा किया... - aaj maine apna fir sauda kiya

आज मैंने अपना फिर सौदा किया
और फिर मैं दूर से देखा किया

ज़िन्‍दगी भर मेरे काम आए उसूल
एक-एक करके उन्‍हें बेचा किया

कुछ कमी अपनी वफ़ाओं में भी थी
तुम से क्‍या कहते के तुमने क्‍या किया

हो गई थी दिल को कुछ उम्‍मीद सी
ख़ैर तुमने जो किया अच्‍छा किया

Friday, April 23, 2010

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा - zindagi yun huyi basar tanha


ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा,
क़ाफिला साथ और सफर तन्हा

अपने साये से चौंक जाते हैं,
उम्र गुज़री है इस कदर तन्हा

रात भर बोलते हैं सन्नाटे,
रात काटे कोई किधर तन्हा

दिन गुज़रता नहीं है लोगों में,
रात होती नहीं बसर तन्हा

हमने दरवाज़े तक तो देखा था,
फिर न जाने गए किधर तन्हा.

Wednesday, April 21, 2010

हर एक बात पे कहते हो - har ek baat pe kahte ho...

हर एक बात पे कहते हो तुम कि "तू क्या है"?
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है?

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल,
जब आँख ही से ना टपका तो फिर लहू क्या है?

चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन,
हमारी जेब को अब हाजत[1]-ए-रफू[2] क्या है

जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा,
कुरेदते हो अब राख, जुस्तजू क्या है?

रही ना ताक़त-ए-गुफ़्तार[3], और अगर हो भी,
तो किस उम्मीद पे कहिये कि आरज़ू क्या है?

Tuesday, April 20, 2010

गुम सुम ये जहाँ है - gum sum ye jahan hai...

गुम सुम ये जहाँ है, हमदम तू कहाँ है,
ग़मज़दा हो गई, ज़िंदगी आ भी जा,

रात बैठी है बाहे पसारे, सिसकियाँ ले रहे हैं सितारे,
कोई टूटा हुआ दिल पुकारे, हमदम तू कहाँ है,

आज आने का वादा भुला कर, ना-उम्मीदी की आंधी चला कर,
आशियाना वफ़ा का जला कर, हमदम तू कहाँ है.

Sunday, April 18, 2010

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला... - ab khushi hai na koi dard rulaane wala

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला,
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला,

उसको रुख़्सत तो किया था, मुझे मालूम न था,
सारा घर ले गया, घर छोड़ के जाने वाला,

इक मुसाफ़िर के सफ़र जैसी है, सब की दुनिया,
कोई जल्दी में, कोई देर से जाने वाला,

एक बे-चेहरा सी उम्मीद है, चेहरा-चेहरा,
जिस तरफ़ देखिए आने को है आने वाला,

दूर के चाँद को ढूँढो न किसी आँचल में,
ये उजाला नहीं आँगन में समाने वाला.