नवीनतम पोस्ट

Thursday, October 22, 2009

नींद से आँख खुली है अभी - neend se aankh khuli hai abhi...

नींद से आँख खुली है अभी, देखा क्या है,
देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है.

बाँध रखा है किसी सोच ने घर से हमको,
वरना अपना दर-ओ-दीवार से रिश्ता क्या है.

रेत की ईंट की पत्थर की हूँ या मिट्टी की,
किसी दीवार के साए का भरोसा क्या है.

अपनी दानिश्त में समझे कोई दुनिया "शाहिद"
वरना हाथों में लकीरों के इलावा क्या है?

0 comments: