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Saturday, September 12, 2009

शाम से आँख में नमी सी है - shaam se aankh me nami si hai...

शाम से आँख में नमी सी है,
आज फिर आपकी कमी सी है,

दफ़्न कर दो हमें कि सांस मिले,
नब्ज़ कुछ देर से थमी सी है,

वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
इसकी आदत भी आदमी सी है,

कोई रिश्ता नहीं रहा फिर भी,
एक तस्लीम लाज़मी सी है.

Friday, September 4, 2009

तेरे निसार साक़िया - tere nisaar saqiyaa...

तेरे निसार साक़िया जितनी पियूं पिलाए जा,
मस्त नज़र का वास्ता, मस्त मुझे बनाए जा,

तुझको किसी से दर्द क्या, बिजली कहीं गिराए जा,
दिल जले या जिगर जले, तू यूँही मुस्कुराये जा,

सामने मेरे आ के देख, रुख़ से नक़ाब हटा के देख,
खिलमन-ए-दिल है मुन्तज़िर बर्क़े नज़र गिराए जा,

वफ़ा-ए-बदनसीब को बख्शा है तूने दर्द जो,
है कोई इसकी भी दवा, इतना ज़रा बताये जा,

Thursday, September 3, 2009

कुछ ना कुछ तो जरूर होना है - Kuchh to kuchh hona hai

कुछ ना कुछ तो जरूर होना है,
सामना आज उनसे होना है।

तोडो फेंको रखो, करो कुछ भी,
दिल हमारा है क्या खिलौना है?

जिंदगी और मौत का मतलब,
तुमको पाना है तुमको खोना है ।

इतना डरना भी क्या है दुनिया से,
जो भी होना है, वो तो होना है।

उठ के महफ़िल से मत चले जाना,
तुमसे रोशन ये कोना कोना है।