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Friday, August 21, 2009

ऐसे हिज्र के मौसम - aise hijr ke mausam...

ऐसे हिज्र के मौसम कब-कब आते हैं,
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं,

जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्क़ों को,
तेरा दामन तर करने जब-तब आते हैं,

जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है, वो हर शब आते हैं,

अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी - वरना,
हमको बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं,

कागज़ की कश्ती में दरिया पार किया,
देखो हमको क्या-क्या करतब आते हैं.

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