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Monday, August 24, 2009

जब कभी तेरा नाम - jab kabhi tera naam...

जब कभी तेरा नाम लेते हैं,
दिल से हम इन्तकाम लेते हैं,

मेरी बरबादियों के अफ़साने,
मेरे यारों के नाम लेते हैं,

बस यही एक ज़ुर्म है अपना,
हम मुहब्बत से काम लेते हैं,

हर कदम पर गिरे, मगर सीखा,
कैसे गिरतों को थाम लेते हैं,

हम भटककर जुनूं की राहों में,
अक्ल से इन्तकाम लेते हैं.

Sunday, August 23, 2009

तुम नहीं, ग़म नहीं, शराब नहीं - tum nahin, gham nahin, sharaab nahin...

तुम नहीं, ग़म नहीं, शराब नहीं,
ऐसी तन्हाई का जवाब नहीं,

गाहे गाहे इसे पढ़ा कीजे,
दिल से बेहतर कोई किताब नहीं,

जाने किस किस की मौत आयी है,
आज रुख़ पे कोई नक़ाब नहीं,

वो करम उँगलियों पे गिनते हैं,
ज़ुल्म का जिनके कुछ हिसाब नहीं,

जो क़यामत न ढा सके 'राही',
वो किसी काम का शबाब नहीं.

Saturday, August 22, 2009

कभी-कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है - kabhi-kabhi yun bhi humne apne jee ko bahlaya hai...

कभी-कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है,
जिन बातों को खुद नहीं समझे, औरों को समझाया है,

हमसे पूछो इज्ज़तवालों की इज्ज़त का हाल यहाँ,
हमने भी इस शहर में रहकर थोड़ा नाम कमाया है,

उससे बिछड़े बरसों बीते, लेकिन आज ना जाने क्यूँ?
आँगन में हँसते बच्चों को बेकार धमकाया है,

कोई मिला तो हाथ मिलाया, कहीं गए तो बातें की,
घर से बाहर जब भी निकले, दिन भर बोझ उठाया है.

Friday, August 21, 2009

ऐसे हिज्र के मौसम - aise hijr ke mausam...

ऐसे हिज्र के मौसम कब-कब आते हैं,
तेरे अलावा याद हमें सब आते हैं,

जज़्ब करे क्यों रेत हमारे अश्क़ों को,
तेरा दामन तर करने जब-तब आते हैं,

जागती आँखों से भी देखो दुनिया को,
ख़्वाबों का क्या है, वो हर शब आते हैं,

अब वो सफ़र की ताब नहीं बाक़ी - वरना,
हमको बुलावे दश्त से जब-तब आते हैं,

कागज़ की कश्ती में दरिया पार किया,
देखो हमको क्या-क्या करतब आते हैं.

Thursday, August 20, 2009

तन्हा-तन्हा हम रो लेंगे - tanha-tanha hum ro lenge...

एल्बम HOPE जगजीत जी और चित्रा जी के जीवन की सबसे बड़ी होप, उनके पुत्र विवेक के देहांत के बाद उनके जन्मदिन के मौके पर ग़ज़ल पसंदों को समर्पित किया गया था. आज 20 अगस्त, विवेक के जन्मदिन के मौके पर मैं आपके साथ उसी HOPE एल्बम से एक ख़ास ग़ज़ल शेयर कर रहा हूँ.

तन्हा-तन्हा हम रो लेंगे, महफ़िल-महफ़िल गायेंगे,
जब तक आंसू साथ रहेंगे, तब तक गीत सुनायेंगे,

तुम जो सोचो वो तुम जानो, हम तो अपनी कहते हैं,
देर ना करना घर जाने में, वरना घर खो जायेंगे,

बच्चों के छोटे हाथों को चाँद-सितारे छूने दो,
चार किताबें पढ़ कर वो भी हम जैसे हो जायेंगे,

किन राहों से दूर है मंजिल, कौन-सा रास्ता आसां है,
हम जब थक कर रुक जायेंगे, औरों को समझायेंगे,

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर दिल हों, मुमकिन है,
हम तो उस दिन रायें देंगे जिस दिन धोखा खाएँगे.

Wednesday, August 19, 2009

मेरी ज़िन्दगी किसी और की - meri zindagi kisi aur ki...

मेरी ज़िन्दगी किसी और की, मेरे नाम का कोई और है,
सर-ए-आइना मेरा अक्स है, पस-ए-आइना कोई और है.

मेरी धडकनों में है चाप-सी, ये जुदाई भी है मिलाप सी,
मुझे क्या पता, मेरे दिल बता, मेरे साथ क्या कोई और है,

ना गए दिनों को खबर मेरी, ना शरीक़-ए-हाल नज़र तेरी,
तेरे देश में, मेरे भेस में, कोई और था, कोई और है,

वो मेरी तरफ निगेरां रहे, मेरा ध्यान जाने कहाँ रहे,
मेरी आँख में कई सूरतें, मुझे चाहता कोई और है.

Monday, August 17, 2009

वो ख़त के पुर्जे उड़ा रहा था - wo khat ke purze uda raha tha...

वो ख़त के पुर्जे उड़ा रहा था,
हवाओं का रुख दिखा था,

कुछ और ही हो गया नुमायाँ,
मैं अपना लिखा मिटा रहा था,

उसी का ईमां बदल गया है,
कभी जो मेरा खुदा रहा था,

वो एक दिन एक अजनबी को,
मेरी कहानी सुना रहा था,

वो उम्र कम कर रहा था मेरी,
मैं साल अपने बढ़ा रहा था.

Sunday, August 16, 2009

नज़र नज़र से मिलाकर - nazar nazar se milakar...

नज़र नज़र से मिलाकर शराब पीते हैं
हम उनको पास बिठाकर शराब पीते हैं

इसीलिए तो अँधेरा है मैकदे में बहुत
यहाँ घरों को जलाकर शराब पीते हैं

हमें तुम्हारे सिवा कुछ नज़र नहीं आता
तुम्हें नज़र में सजाकर शराब पीते हैं

उन्हीं के हिस्से में आती है प्यास ही अक्सर
जो दूसरों को पिलाकर शराब पीते हैं

Saturday, August 15, 2009

मुझे होश नहीं - mujhe hosh nahin...

कितनी पी कैसे कटी रात मुझे होश नहीं
रात के साथ गयी बात मुझे होश नहीं

मुझको ये भी नहीं मालूम कि जाना है कहाँ
थाम ले कोई मेरा हाथ मुझे होश नहीं

आंसुओं और शराबों में गुज़र है अब तो
मैंने कब देखी थी बरसात मुझे होश नहीं

जाने क्या टूटा है पैमाना कि दिल है मेरा
बिखरे-बिखरे हैं खयालात मुझे होश नहीं

Friday, August 14, 2009

कौन आया रास्ते आइना खाना - kaun aaya raste aaina-khana...

कौन आया रास्ते आइना खाना हो गए
रात रोशन हो गयी दिन भी सुहाने हो गए

ये भी मुमकिन है कि उसने मुझको पहचाना ना हो
अब उसे देखे हुए कितने जमाने हो गए

जाओ उन कमरों के आईने उठाकर फ़ेंक दो
वे अगर ये कह रहे हों हम पुराने हो गए

मेरी पलकों पर ये आंसू प्यार की तौहीन हैं
उसकी आँखों से गिरे मोती के दाने हो गए

Thursday, August 13, 2009

क्यूं डरें, ज़िन्दगी में क्या होगा - kyon daren, zindagi me kya hoga...

क्यूं डरें, ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ न होगा तो तजुर्बा होगा

हंसती आँखों में झाँक कर देखो
कोई आंसू कहीं छुपा होगा

इन दिनों न उम्मीद-सा हूँ मैं
शायद उसने भी ये सुना होगा

देखकर तुमको सोचता हूँ मैं
क्या किसी ने तुम्हें छुआ होगा

Wednesday, August 12, 2009

दर्द-ए-दिल में कमी न हो जाए - dard-e-dil me kami na ho jaye...

दर्द-ए-दिल में कमी न हो जाए
दोस्ती दुश्मनी न हो जाए

तुम मेरी दोस्ती का दम न भरो
आसमान मुद्दई न हो जाए

बैठता हूँ हमेशा रिन्दों में
कहीं जाहिद वली न हो जाए

अपनी खू-ए-वफ़ा से डरता हूँ
आशिकी बंदगी न हो जाए

Tuesday, August 11, 2009

ये पीने वाले बहुत ही अजीब होते हैं - ye peene wale bahut hi azeeb hote hain...

ये पीने वाले बहुत ही अजीब होते हैं
जहाँ से दूर ये खुद के करीब होते हैं

किसी को प्यार मिले और किसी को रुसवाई
मोहब्बतों के सफ़र भी अजीब होते हैं

मिला किसी को है क्या सोचिये अमीरी से
दिलों के शाह तो अक्सर गरीब होते हैं

यहाँ के लोगों की है खासियत ये सबसे बड़ी
हबीब लगते हैं लेकिन रक़ीब होते हैं

Monday, August 10, 2009

आप भी आईये हमको भी बुलाते रहिये - aap bhi aaiye humko bhi bulate rahiye...

आप भी आईये हमको भी बुलाते रहिये
दोस्ती जुर्म नहीं दोस्त बनाते रहिये

ज़हर पी जाइए और बांटिये अमृत सबको
ज़ख्म भी खाइए और गीत भी गाते रहिये

वक़्त ने लूट लीं लोगों की तम्मानाएं भी
ख्वाब जो देखिये औरों को दिखाते रहिये

शक्ल तो आपके भी ज़हेन में होगी कोई
कभी बन जायेगी तस्वीर बनाते रहिये

Sunday, August 9, 2009

तमन्ना फिर मचल जाये - tamanna phir machal jaye...

तमन्ना फिर मचल जाये अगर तुम मिलने आ जाओ,
ये मौसम ही बदल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

मुझे ग़म है के मैंने ज़िन्दगी में कुछ नहीं पाया,
ये ग़म दिल से निकल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

नहीं मिलते हो मुझसे तुम तो सब हमदर्द हैं मेरे
ज़माना मुझसे जल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ

ये दुनिया भर के झगड़े घर के किस्से काम की बातें
बला हर एक टल जाए अगर तुम मिलने आ जाओ


Friday, August 7, 2009

इश्क की दास्तान है प्यारे - ishq ki dastan hai pyare...

इश्क की दास्तान है प्यारे,
अपनी-अपनी, जुबां है प्यारे

हम ज़माने से इंतकाम तो ले
एक हसीं दरमियान है प्यारे

तू नहीं मैं हूँ, मैं नहीं तू है
अब कुछ ऐसा गुमान है प्यारे

रख कदम फूंक-फूंक कर नादान
ज़र्रे-ज़र्रे में जान है प्यारे


Wednesday, August 5, 2009

मैं नशे में हूँ - main nashe me hun...

ठुकराओ या अब के प्यार करो मैं नशे में हूँ
जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ

अब भी दिला रहा हूँ यकीं-ऐ-वफ़ा मगर
मेरा ना एतबार करो मैं नशे में हूँ

गिरने दो तुम मुझे, मेरा साग़र संभाल लो
इतना तो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ

मुझको कदम कदम पे भटकने दो वाइज़ों
तुम अपना कारोबार करो मैं नशे में हूँ

फ़िर बेखुदी में हद से गुज़रने लगा हूँ मैं
इतना ना मुझसे प्यार करो मैं नशे में हूँ



Sunday, August 2, 2009

तुमने दिल की बात कह दी - tumne dil ki baat kah di...

तुमने दिल की बात कह दी, आज ये अच्छा हुआ,
हम तुम्हें अपना समझते थे, बड़ा धोखा हुआ,

जब भी हमने कुछ कहा, उसका असर उल्टा हुआ,
आप शायद भूलते हैं, बारहा ऐसा हुआ,

आपकी आंखों में ये आंसू कहाँ से आ गये,
हम तो दीवाने हैं लेकिन आपको ये क्या हुआ,

अब किसी से क्या कहें इकबाल अपनी दास्तां,
बस खुदा का शुक्र है जो भी हुआ अच्छा हुआ,

Saturday, August 1, 2009

तेरे बारे में जब सोचा नहीं था - tere baare me jab socha nahin tha..

तेरे बारे में जब सोचा नहीं था,
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था,

तेरी तस्वीर से करता था बातें,
मेरे कमरे में आईना नहीं था,


समन्दर ने मुझे प्यासा ही रखा,
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था,

मनाने रुठने के खेल में,
बिछड़ जाएंगे हम ये सोचा नहीं था,

सुना है बन्द कर ली उसने आँखे,
कई रातों से वो सोया नहीं था