नवीनतम पोस्ट

Wednesday, April 22, 2009

एक पुराना मौसम लौटा, याद भरी पुरवाई भी - ek purana mausam lauta, yaad bhari purwaai bhi


एक पुराना मौसम लौटा, याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है, वो भी हों तन्हाई भी,

यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं,
कितनी सौंधी लगती है तब माज़ी की रुसवाई भी

दो-दो शक्लें दिखती हैं इस बहके से आईने में
मेरे साथ चला आया है आपका इक सौदाई भी,

ख़ामोशी हासिल भी एक लंबी-सी ख़ामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने, अपनी बात सुनाई भी.

Tuesday, April 21, 2009

आँखों में जल रहा है क्यूँ, बुझता नहीं धुँआ - aankhon me jal raha hai kyun


आँखों में जल रहा है क्यूँ, बुझता नहीं धुँआ
उठता तो है घटा-सा बरसता नहीं धुँआ,

चूल्हे नहीं जलाए या बस्ती ही जल गयी
कुछ रोज़ हो गए हैं अब, उठता नहीं धुँआ,

आँखों के पोंछने से लगा आंच का पता
यूँ चेहरा फेर लेने से छुपता नहीं धुँआ,

आँखों से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमां ये घर में आयें तो चुभता नहीं धुँआ.

Saturday, April 11, 2009

ना जाना आज तक क्या शय खुशी है
हमारी ज़िन्दगी भी ज़िन्दगी है

तेरे गम से शिकायत-सी रही है
मुझे सचमुच बड़ी शर्मिन्दगी है

मुहब्बत में कभी सोचा है यूं भी
कि तुझसे दोस्ती या दुश्मनी है

कोई दम का हूँ मेहमां, मुंह ना फ़ेरो
अभी आंखों में कुछ-कुछ रोशनी है

ज़माना ज़ुल्म मुझ पर कर रहा है
तुम ऐसा कर सको तो बात भी है

झलक मासूमियों में शोखियों की
बहुत रंगीन तेरी सादगी है

इसे सुन लो, सबब इसका ना पूछो
मुझे तुम से मोहब्बत हो गई है

सुना है इक नगर है आंसूओं का
उसी का दूसरा नाम आंख भी है

वही तेरी मोहब्बत की कहानी
जो कुछ भूली हुई, कुछ याद भी है

तुम्हारा ज़िक्र आया इत्तिफ़ाकन
ना बिगड़ो बात पर, बात आ गई.