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Tuesday, July 15, 2008

ये दौलत भी ले लो

ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती वो बारिश का पानी

मोहल्ले की सबसे निशानी पुरानी
वो बुढिया जिसे बच्चे कहते थे नानी
वो नानी की बातों में परियों का डेरा
वो चेहरे की झ्रुरियों में सदियों का फेरा
भुलाए नहीं भूल सकता है कोई
वो छोटी-सी रातें वो लम्बी कहानी

कड़ी धूप में अपने घर से निकलना
वो चिडिया वो बुलबुल वो तितली पकड़ना
वो गुडिया की शादी पे लड़ना झगड़ना
वो झूलों से गिरना, वो गिर के संभालना
वो पीतल के छल्लों के प्यारे से तोहफे
वो टूटी हुई चूडियों की निशानी

कभी रेत के ऊँचे तिलों पे जाना
घरोंदे बनाना, बना के मिटाना
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख्वाबों खिलोनों की जागीर अपनी
ना दुनिया का गम था ना रिश्तों के बंधन, बड़ी खूबसूरत थी वो जिंदगानी

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